Thursday 1 March 2012

बन्‍धुवा मजदर बेबस लाचार

साथियों बन्‍धुवा मजदूर कितना लाचार है इसकी जीती जागती मिसाल राजनैतिक दलो का रवैया है जो हर मसले को अपने वोट बैंक में बदलने को तैयार रहते है चाहे इसके लिये जाति धर्म मन्दिर मस्जिद  आरक्षण कुछ भी हो । लेकिन बन्‍धुवा मजदूरो के नाम पर सभी राजनैतिक दल   बोलने से भी कतराते है क्‍या इन दलो को ये कोई समस्‍या नहीं लगती या ये दल इससे अनभिज्ञ है या फिर साजिश के तहत चुप है क्‍योकि फिर कारपोरेट मालिक इनकी ---- में डन्‍डा दे देगें ।

No comments:

Post a Comment