साथियों बन्धुवा मजदूर कितना लाचार है इसकी जीती जागती मिसाल राजनैतिक दलो का रवैया है जो हर मसले को अपने वोट बैंक में बदलने को तैयार रहते है चाहे इसके लिये जाति धर्म मन्दिर मस्जिद आरक्षण कुछ भी हो । लेकिन बन्धुवा मजदूरो के नाम पर सभी राजनैतिक दल बोलने से भी कतराते है क्या इन दलो को ये कोई समस्या नहीं लगती या ये दल इससे अनभिज्ञ है या फिर साजिश के तहत चुप है क्योकि फिर कारपोरेट मालिक इनकी ---- में डन्डा दे देगें ।
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