सरकार या सरकारो को नियन्त्रित कर रहा पूजीपति वर्ग साफ तौर पर बॉंटो ओर राज करो और सारे संसाधन लूट लो की नीति पर चल रहा है । अगर किसी को इसमें संशय है तो उसे ऑंख खोलकर चारो तरफ देखना होगा
खासतौर पर जनसामान्य की जीवन शैली , उनका स्वास्थ्य , शिक्षा की स्थिति और रोजगार की उपलब्धता तथा कार्य करने की स्थितियॉं
इन सब बातो पर गौर करने के पश्चात ये एहसास होता है कि जनसामान्य खासतौर पर श्रमिक वग्र का शोषण पूजापति द्वारा किया जा रहा है
शोषण करने के लिये सर्वप्रथम शोषित वर्ग को पहले बॉंट दिया जाता है यह सार्वभौमिक नियम है जो आदिकाल से पूँजीपति वर्ग द्वारा प्रयोग किया जा रहा है।
आधुनिक काल में श्रमिक वर्ग को इस तरह से बॉटा जाता है कि श्रमिक वर्ग ये एहसास ही नही कर पाता कि वह श्रमिक वर्ग में है।
तत्पश्चात श्रमिको को सरकारी , अर्द्वसरकारी व प्राइवेट कर्मवारियों के मोटे वर्ग में बॉंट दिया गया है।
इसके पश्चात प्रत्येक वर्ग को स्थायी, अस्थायी, आकस्मिक , संविदा व दैनिक वेतन भोगी में विभाजित कर दिया जाता है।
इसके पश्चात श्रमिको के संगठनो को राजनैतिक विचारधारा के नाम पर बॉंट दिया जाता है।
फिर इन संगठनों के अन्दर धर्म जाति और क्षेत्र के आधार पर विभाजन तय किया जाता है कहने का तात्पर्य यह है कि यह पूर्ण सुनिश्चित किया जाता है कि श्रमिको में एका न हो पाये ।
पूंजीपति और शासक वर्ग द्वारा इसके पश्चात भी प्रयत्न किये जाते है कि आम जन जागरूक न हो पाये । इसके लिये जनता के लिये नशे का इन्तजाम किया जाता है ठीक उसी तरह जिस तरह फिल्म नरसिम्हॉं में हीरो के नशे की व्यवस्था की जाती है ।
आम जन को बेहोशी में रखकर उस पर शासन करने की पुरानी पद्वति के अनुसार ही आज के शासक भी
1- 24 घन्टे कूल्हे मटकाती मेनकाओं के आभासी चित्र पट दिखाकर आम जन को धाखे में रखती है
2- जनता का शासन जनता केलिये जनता द्वारा के नाम पर शासक वर्ग अपने संरक्षण में नशीली वस्तुओं की मंडी लगाता है नाम चाहे कुछ भी हो । और ये सब जनहित के नाम पर होता है।
3- इसके पश्चात आम जन को अपने पक्ष में करने के लिये इस धारणा को फैलाता है कि धन सम्पत्ति ही सब कुछ है यही मानव का अन्तिम लक्ष्य है। इसके लिये चाहे अपनो का हक मारो या आश्रितो को निराश्रित छोड दो । जहॉं सम्भव हो सके जिस तरह से सम्भव हो जल्दी से जल्दी पैसा बनाओ चाहे भष्टाचार करो चाहे कुछ भी करो बस पैसा पास में होना चाहिये ।
चाहे मिलावटी सामान बेचो चाहे जंगल काटो चाहे हजारो लाखों लोगो के जीवन को नारकीय बना दो ।
मै कुछ विषय से ज्यादा ही भटक गया हूँ
वापस मूल विषय पर लौटते है मूल विषय क्या है
शासक वर्ग द्वारा श्रमिक वर्ग का शोषण
उदाहरण - शासक वर्ग द्वारा वर्तमान सविंदा व आकस्मिक व दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियो का जन्म
जबकि शासक वर्ग एक बार सांसद व विधायक बन जाने के बाद आजीवन पेशन व अन्य सुविधाये पाने का हकदार हो जाता है ।
अधिकतर सांसद व विधायक श्रमिक वर्ग से ही आते है लेकिन पूंजीपति वर्ग इनको अपने मूल वर्ग से काट देता है और इनकी आड लेकर शासन करता है
फिर मै विषय से भटक गया हूँ
बाकी फिर कभी
आपका
आपकी तरह
खासतौर पर जनसामान्य की जीवन शैली , उनका स्वास्थ्य , शिक्षा की स्थिति और रोजगार की उपलब्धता तथा कार्य करने की स्थितियॉं
इन सब बातो पर गौर करने के पश्चात ये एहसास होता है कि जनसामान्य खासतौर पर श्रमिक वग्र का शोषण पूजापति द्वारा किया जा रहा है
शोषण करने के लिये सर्वप्रथम शोषित वर्ग को पहले बॉंट दिया जाता है यह सार्वभौमिक नियम है जो आदिकाल से पूँजीपति वर्ग द्वारा प्रयोग किया जा रहा है।
आधुनिक काल में श्रमिक वर्ग को इस तरह से बॉटा जाता है कि श्रमिक वर्ग ये एहसास ही नही कर पाता कि वह श्रमिक वर्ग में है।
तत्पश्चात श्रमिको को सरकारी , अर्द्वसरकारी व प्राइवेट कर्मवारियों के मोटे वर्ग में बॉंट दिया गया है।
इसके पश्चात प्रत्येक वर्ग को स्थायी, अस्थायी, आकस्मिक , संविदा व दैनिक वेतन भोगी में विभाजित कर दिया जाता है।
इसके पश्चात श्रमिको के संगठनो को राजनैतिक विचारधारा के नाम पर बॉंट दिया जाता है।
फिर इन संगठनों के अन्दर धर्म जाति और क्षेत्र के आधार पर विभाजन तय किया जाता है कहने का तात्पर्य यह है कि यह पूर्ण सुनिश्चित किया जाता है कि श्रमिको में एका न हो पाये ।
पूंजीपति और शासक वर्ग द्वारा इसके पश्चात भी प्रयत्न किये जाते है कि आम जन जागरूक न हो पाये । इसके लिये जनता के लिये नशे का इन्तजाम किया जाता है ठीक उसी तरह जिस तरह फिल्म नरसिम्हॉं में हीरो के नशे की व्यवस्था की जाती है ।
आम जन को बेहोशी में रखकर उस पर शासन करने की पुरानी पद्वति के अनुसार ही आज के शासक भी
1- 24 घन्टे कूल्हे मटकाती मेनकाओं के आभासी चित्र पट दिखाकर आम जन को धाखे में रखती है
2- जनता का शासन जनता केलिये जनता द्वारा के नाम पर शासक वर्ग अपने संरक्षण में नशीली वस्तुओं की मंडी लगाता है नाम चाहे कुछ भी हो । और ये सब जनहित के नाम पर होता है।
3- इसके पश्चात आम जन को अपने पक्ष में करने के लिये इस धारणा को फैलाता है कि धन सम्पत्ति ही सब कुछ है यही मानव का अन्तिम लक्ष्य है। इसके लिये चाहे अपनो का हक मारो या आश्रितो को निराश्रित छोड दो । जहॉं सम्भव हो सके जिस तरह से सम्भव हो जल्दी से जल्दी पैसा बनाओ चाहे भष्टाचार करो चाहे कुछ भी करो बस पैसा पास में होना चाहिये ।
चाहे मिलावटी सामान बेचो चाहे जंगल काटो चाहे हजारो लाखों लोगो के जीवन को नारकीय बना दो ।
मै कुछ विषय से ज्यादा ही भटक गया हूँ
वापस मूल विषय पर लौटते है मूल विषय क्या है
शासक वर्ग द्वारा श्रमिक वर्ग का शोषण
उदाहरण - शासक वर्ग द्वारा वर्तमान सविंदा व आकस्मिक व दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियो का जन्म
जबकि शासक वर्ग एक बार सांसद व विधायक बन जाने के बाद आजीवन पेशन व अन्य सुविधाये पाने का हकदार हो जाता है ।
अधिकतर सांसद व विधायक श्रमिक वर्ग से ही आते है लेकिन पूंजीपति वर्ग इनको अपने मूल वर्ग से काट देता है और इनकी आड लेकर शासन करता है
फिर मै विषय से भटक गया हूँ
बाकी फिर कभी
आपका
आपकी तरह
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