Thursday 20 October 2011

नई सदी के अछूत

साथियों मुझे कुछ मेल मिले है जिसमें उन पर होने वाले अन्‍याय का जिक्र किया गया है मित्रो सभी की यही कहानी है कोई कम या फिर कोई ज्‍यादा , पीडित सभी है । मेरा मानना है कि दो चार साथियों की समस्‍या दूर होने से मूल समस्‍या बनी रहेगी और नये नये नौजवान उन पदो पर खुशी खुशी आने को तैयार रहेगें और कीमती साल गुलामी में बिता देने को तैयार रहेगें ।
तब साथियों इस समस्‍या का हल क्‍या है मेरा आपसे अनुरोध है कि सोचे और गहनता से विचार करे क्‍योकि आपकी सोच पर तो पहरा नहीं है मेरी राय हैकि आप जहॉं तक सम्‍भ्‍ाव हो हर उस स्‍तर पर संविदा प्रथा के खिलाफ आवाज उठायें ।
आप अपने अनुभव से जानते हैकि आप के संग अछूतो जैसा व्‍यवहार किया जाता है और आने वाले समय में ये समस्‍या बढने ही वाली है

अत:  मेरी राय है कि हमको अछूत बनाने वाली इस संविदा प्रथा का हम आने वाली पीढी के हित में विरोध करें।
आपकी राय का इच्‍छुक
एक अछूत बन्‍धुवा   संविदा श्रमिक

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