सविंदा कार्मिक की जरूरत क्यों है
सामान्यत सरकार और देश का यह कर्तव्य है कि वह अपने निवासियो का रोटी कपडा और मकान की मूलभूत जरूरतों का पूरा करे तथा उनका शारीरिक और मानसिक उत्थान में सहायक हो
क्या आज हमारे देश में कोई भी सरकार इस दिशा में कार्य करती दिख रही है
उल्टे ऐसा प्रतीत होता है कि नई बन्धुवा गुलामी की दिशा में हर सरकार और हर कारपोरेट संस्थान कार्य कर रहे है
क्योकि संविदा कार्मिक से कभी भी पीछा छुडाया जा सकता है और उनको भयभीत करके शोषण किया जा सकता है
अगर सविंदा कार्मिक प्रथा उत्तम है तो फिर सरकार को तुरन्त प्रभाव से अन्य तरह की भर्ती पर रोक लगा देनी चाहिये और केवल और केवल सविंदा प्रथा से ही कार्मिक भर्ती करने चाहिये
हमारी सरकार को याद होना चाहिये कि अग्रेजो का शासन क्यो बुरा था
क्योकि वो बेगार लेते थे
बाकी सब बेकार की बात है देश के संसाधनो पर पहले अग्रेजो का कब्जा था अब किसका कब्जा है कम से कम हम सविंदा कार्मिको का तो देश के संसाधनो का कोई हक नहीं है क्योकि जब हमारा खुद पर कोई अधिकार नहीं है तो अन्य किसी चीज पर हमारा कोई हक है ये सोचना भी नादानी है
सामान्यत सरकार और देश का यह कर्तव्य है कि वह अपने निवासियो का रोटी कपडा और मकान की मूलभूत जरूरतों का पूरा करे तथा उनका शारीरिक और मानसिक उत्थान में सहायक हो
क्या आज हमारे देश में कोई भी सरकार इस दिशा में कार्य करती दिख रही है
उल्टे ऐसा प्रतीत होता है कि नई बन्धुवा गुलामी की दिशा में हर सरकार और हर कारपोरेट संस्थान कार्य कर रहे है
क्योकि संविदा कार्मिक से कभी भी पीछा छुडाया जा सकता है और उनको भयभीत करके शोषण किया जा सकता है
अगर सविंदा कार्मिक प्रथा उत्तम है तो फिर सरकार को तुरन्त प्रभाव से अन्य तरह की भर्ती पर रोक लगा देनी चाहिये और केवल और केवल सविंदा प्रथा से ही कार्मिक भर्ती करने चाहिये
हमारी सरकार को याद होना चाहिये कि अग्रेजो का शासन क्यो बुरा था
क्योकि वो बेगार लेते थे
बाकी सब बेकार की बात है देश के संसाधनो पर पहले अग्रेजो का कब्जा था अब किसका कब्जा है कम से कम हम सविंदा कार्मिको का तो देश के संसाधनो का कोई हक नहीं है क्योकि जब हमारा खुद पर कोई अधिकार नहीं है तो अन्य किसी चीज पर हमारा कोई हक है ये सोचना भी नादानी है
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